साइबर बदमाशी की वजह से आत्महत्या हुई

10 अक्टूबर 2012 को कनाडा की लड़की अमांडा टोड ने साइबर बदमाशी और उत्पीड़न के वर्षों के बाद आत्महत्या कर ली। जूडिथ ब्रुह्न एक चौंकाने वाले मामले की बारे में बताती है।

उदहारण

12 वर्ष की उम्र पर अमांडा टोड ने एक वेब कैमरा साइट पर लॉग इन किया था जहां वह एक 30 वर्षीय आदमी से मिली जिसने उसे फुसलाया  जब तक उसने अपनी छाती दिखाई। उस आदमी ने उसकी छाती की एक तस्वीर ली और उसे उस लड़की के दोस्त, परिवार, स्कूल और पड़ोसियों के बीच में परिचालित कर दिया। उसके स्कूलों और घरो को बदलने के बावजूद उस आदमी ने उसका पीछा करना और उसे परेशान करना जारू रखा। इसकी वजह से उसे स्कूल में विद्यार्थियों ने तंग किया और उस पर हमला किया। अमांडा को घबड़ाहट के दौरे पड़ने लगे, उसने अपने आप को चोट पहुचना शुरू कर दिया और उन वर्षों के दौरान कई बार आत्महत्या करने की कोशिश की। 7 सितम्बर 2012 को अमांडा, जो अब 15 वर्ष की आयु की हो गयी थी, ने यूट्यूब पर एक 9 मिनिट का वीडियो तैनात किया जिसमे उसने फ़्लैश कार्ड के उपयोग से अपनी पीछा, तंग और हमला किये जाने की कहानी बताई। उसी वर्ष के 10 अक्टूबर को उसने आत्महत्या कर ली।

लेखक की राय

अमांडा टोड का मामला चौंकाने वाला है। साइबर बदमाशी औरसंबंधित स्कूल में बदमाशी ने एक लड़की को आत्महत्या की तरफ ढकेल दिया। चित्रों की परिसंचारी और किसी को ऑनलाइन या ऑफलाइन परेशान करना संभवतः अभिव्यक्ति से वैध स्वतंत्रता के रूप में नहीं देखा जा सकता है। यह एक मजाक नहीं है और इसे कुछ लोग इसे बहुत गंभीरता से लेते है जो इसे संभाल नहीं सकते है। यह एक अपराध है। इसके अलावा एक जवान लड़की का पीछा करना, चाहे ऑनलाइन ही, बाल-उत्पीड़न है।  कनाडा के सामान्य उत्पीड़न प्रावधानों के तहत साइबर बदमाशी के विरुद्ध मुकदमा चलाया जा सकता है और कई अन्य देशों में इसके खिलाफ समान या इससे भी अधिक विशिष्ट कानून है। मिशेल डीन नई यॉर्कर में बताती हैं कि तस्वीरों को असहमतिजन्य लेना और उनका संचरण करना कनाडा और अमेरिकी कानून के तहत दंडनीय है और कई अन्य देशों में भी दंडनीय है। साइबर बदमाशी के विभिन्न चेहरों के बारे में जागरूकता बढाना महत्वपूर्ण है और इसके बारे में भी कि इसे मुक्त भाषण के आधार पर क्यों नहीं संरक्षित कर सकते हैं।

 

- जूडिथ ब्रुह्न

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    “How many girls have to kill themselves before society realizes that cyber bullying leads to suicide.” Over the past years we have seen many incidents of suicide attempts due to cyber bullying. Yet some of us claim that bullying (in the sense of freedom of expression) should be protected under the 1st amendment. This philosophy is however a drastically ignorant approach to a matter that can have a deeper impact on a person’s mental and physical state than anticipated. In the case of Amanda Todd, physical and cyber harassment were tools used to drive her into suicide. We believe that this would not have happened if the extent of the verbal abuse could have been limited by the school regulations and public laws. In cases like these speech and hate speech must be differentiated and dealt with accordingly. Reflecting upon that statement, we are highly convinced and fully invested in the thought that Amanda Todd would have seen another day, if the hostility and malevolence of her classmates would have been confronted and address as harmful and as a criminal offence.

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    It is really a shocking news. Cyber bullying is one of the major problems for kids as they are exposed to different social media websites. Internet safety for kids are indeed these days and parental control programs helps protecting kids. I also use a parental control program for my kid’s safety.

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    What a terrible news!

    This is not only about the privacy, but the right to life. To protect users from cyber-bullying is a key topic that administrators must concentrate on.

    Free speech is consist of rights to speak and the protection of personal reputation.

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