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बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे?

9 फरवरी 2015 को अफज़ल गुरु की फ़ासी की तीसरी सालगिरह पर जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में एक प्रदर्शन का आयोजन किया गया। (अफज़ल गुरु को 13 दिसंबर के संसद के हमले के लिए दोषी ठहराया गया था।)  इस समारोह का शीर्षक था “द कंट्री विथाउठ अ पोस्ट-ऑफिस” जो कि आघा शाहिद अली की […]

चार्ली हैब्डो हत्याकांड के संधर्भ में आर्थर एसरफ अल्जीरिया में फ्रांसीसी उपनिवेशकीय दोगलेपन के इतिहास का विश्लेषण करते हैं।

चार्ली हैब्डो हत्याकांड के संधर्भ में आर्थर एसरफ अल्जीरिया में फ्रांसीसी उपनिवेशकीय दोगलेपन के इतिहास का विश्लेषण करते हैं।

मिड्ल ईस्ट मे आयातित दमन

जून 2014 में, एक लीक दस्तावेज़ के अनुसार ईजिप्ट मिनिस्ट्री ऑफ द इंटीरियर ने ईश्वर-निंदा, व्यंग और नैतिकता की कमी से लड़ने के लिए साइबर सर्वेलएन्स टेक्नालजी के निविदाओं को प्रस्ताव देने के लिए आमंत्रित किया। यह टेक्नालजी संभवतः पश्चिम से आईगी। मैक्स गल्लिएन विवरण करते हैं।

क्या यूरोपीय मानवाधिकार न्यायालय केवल अविवादात्मक की रक्षा कर रहा है?

1985 में, औट्टो परेमिंगर इन्स्टेट्यूट (OPI), एक कला घर जिसकी खासियत वैकल्पिक सिनेमा थी, ने काउन्सल इन हैवन नामक फिल्म दिखाने का निर्णय लिया। यह व्यंगपूर्ण त्रासदी से भरी फिल्म स्वर्ग की पृष्ठभूमि पर स्थित थी जिसमें दण्डदेव सैफिलिस मानवों को रिनायसांस के दौरान करे व्यभिचार व दुराचार, ख़ास तौर से पोप के दरबार में, […]

साइबर बदमाशी की वजह से आत्महत्या हुई

10 अक्टूबर 2012 को कनाडा की लड़की अमांडा टोड ने साइबर बदमाशी और उत्पीड़न के वर्षों के बाद आत्महत्या कर ली। जूडिथ ब्रुह्न एक चौंकाने वाले मामले की बारे में बताती है।

भारत के मंदिरों की अव्यवस्था: धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन?

अवनि बंसल लिखती है कि हालाँकि भारतीय संविधान हर नागरिक को अपने धर्म के चयन व आचरण की स्वतंत्रता प्रदान करता है, मंदिरों में चलते कुप्रबंध उन्हें इस अधिकार से वंचित कर देते हैं।

युद्ध क्रिकेट नहीं है!

ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में पढ़ रहे एक भारतीय छात्र और एक पाकिस्तानी छात्रा दर्शाते हैं कि किस तरह उनके देशों की मिडिया एक ही मुद्दे का अपनी-अपनी तरह से आवरण कर रहीं हैं।

क्या एक कातिल के पास हक है कि उसे लोग भूल जाये?

2008 में दो दोषी पाए गए हत्यारों ने जर्मन कानून के अनुसार विकिपीडिया और अन्य ऑनलाइन मीडिया के आउटलेट से अपने नाम हटाए जाने की मांग की। क्या व्यक्ति का हक कि उसे लोग भूल जाये जनता के जानने के अधिकार पर प्राथमिकता लेता है?

फेसबुक के द्वारा चेहरों की उत्साही टैगिंग

क्या फेसबुक को अपने आप से सुझाव देना चाहिए कि एक तस्वीर में कौन है? सेबस्टियन हुएम्प्फ़ेर पूछते है कि क्या फेसबुक की फोटो टैगिंग सॉफ्टवेयर उसके उपयोगकर्ताओं की गोपनीयता का उल्लंघन करती है।

कुकीज़

कूकीज़ क्या हैं? अन्य वेबसाइट की तरह वाक् स्वतंत्रता पर चर्चा भी कुकीज़ का प्रयोग करती है।  ये छोटी डेटा फाईलें हैं जो आपके कंप्यूटर या अन्य यंत्र के वेब ब्राउज़र पर सेव होती हैं।  इनमें से कुछ कुकीज़ लॉगिन करने तथा अन्य कार्यों के लिए अनिवार्य है।  बाकी हालाँकि अनिवार्य नहीं होती, वे उपयोगकर्ता […]

Cows in India

मेरे खाने की स्वतंत्रता के साथ आपकी क्या परेशानी है?

बीफ और पोर्क खाने की रोक के विरुद्ध में भारत में लड़ाई लड़ी जा रही हैं। मानव भूषण चर्चा करते हैं कि क्यों यह जातिगत भेदभाव का मुद्दा है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध के रूप में देखा जा सकता है।

Cartoonist Aseem Trivedi

व्यंग्य या राजद्रोह? भारत में राजनीतिक कार्टून

भारतीय कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी हाल ही में राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किये गए थे। मानव भूषण चर्चा करते है कि कैसे भारत की दंड संहिता के एक पुराने अनुभाग को सरकार आलोचकों को चुप करने के लिए इस्तेमाल करती है।

Wang Xiaoning

चीन में याहू, मुक्त भाषण और अनामिकता

याहू के द्वारा चीनी अधिकारियों को व्यक्तिगत जानकारी देने के बाद, जिसके द्वारा चीनी अधिकारीयों ने वांग क्सिओंइंग की पहचान की, 2002 में वांग क्सिओंइंग को 10 साल के लिए जेल भेजा गया था। जूडिथ ब्रुह्न परस्पर-विरोधी कानूनों और नैतिक उम्मीदों के एक मामले की जांच करती है।

Brazilian journalists

क्या पत्रकारों के पास डिप्लोमा होना चाहिए ?

ब्राजील के सुप्रीम कोर्ट ने एक कानून को फिर से शुरू किया जो कहता है कि पत्रकारों को पत्रकारिता के क्षेत्र में एक विश्वविद्यालय की डिग्री की आवश्यकता है। फेलिप कोर्रेया लिखते है कि एक वर्तमान में चर्चा किया जाने वाला संविधान में संशोधन देश के मीडिया को और सीमित कर सकता है।